ऊटी लहसुन मध्यप्रदेश राजस्थान में रबी के सीजन में उगाई जाने वाली लहसुन की फसल की एक मुख्य किस्म होती है।
ऊटी लहसुन अपनी क्वालिटी के आधार पर बहुत ही चर्चा और डिमांड में रहने वाली लहसुन की किस्मो में से एक हैं।
जल्दी पकने के कारन बाजार में बहुत जल्दी आ जाती है और दक्षिण भारत में बहुत ही ज्यादा इसकी मांग रहती हैं।
ऊटी लहसुन को किसान मित्र अलग अलग समय पर लगाते है
पहला बरसात के समय वाली फसल (सोयाबीन) नहीं लेते है और खेत को खाली छोड़ा जाता है इसमें जल्दी वाली ऊटी लहसुन की खेती की जाती है। किसान भाई जल्दी वाली लहसुन अगस्त के तीसरे सफ्ताह से लगाना शुरू कर देते हैं और सितम्बर के दूसरे सफ्ताह तक लगाते है।
दूसरा सोयाबीन की फसल लेने के बाद रबी के सीजन की शुरुवात में अन्य लहसुन के साथ में अक्टुम्बर के आखरी सफ्ताह में लगना शुरू होती है।
ऊटी लहसुन पकने में 120 से 130 दिन का समय लेती है।
किसान भाइयो ऊटी लहसुन का बीज वापस से बुवाई के लिए उपयुक्त नहीं होता है। अन्य लहसुन की तरह इसकी हम वापस से बीज के रूप में बुवाई नहीं कर सकते क्योकि इसकी भंडारण क्षमता महज 3 से 4 महीने की होती है जो की बहुत कम है।
अब ऐसे में इसके बीज का क्या समाधान है?
इसके लिए तमिलनाडु के नीलगिरि के पहाड़ो पर इसकी खेती होती है वहां से इसका ताज़ा बीज जुलाई के तीसरे चौथे सफ्ताह में निकलना शुरू हो जाता है और और बिकने के लिए वहां की स्थानीय मंडी जैसे मेट्टुपालयम और वडुगापट्टी मंडी में प्रत्येक बुधवार और रविवार को आता है।
वहां से मध्यप्रदेश के लहसुन व्यापारी खरीद कर लाते है और हमारे क्षेत्र की मुख्य स्थानों जैसे दलौदा , जावरा , जावद -अठाना (नीमच) आदि जगहों पर इसकी मंडी लगा कर इसे किसान मित्रो द्वारा बीज में खरीद कर वापस से बुवाई की जाती है।
उत्पादन और भंडारण क्षमता
उत्पादन की बात करे तो ऊटी लहसुन का औसत उत्पादन प्रति एकड़ 35 से 45 क्विंटल तक देखा जाता हैं।
लहसुन की औसत उम्र लगभग 120 से 130 दिन होती हैं।
ऊटी लहसुन की भंडारण क्षमता अन्य लहसुन की तुलना में बहुत है कम होती है (3 से 4 महीने )और ये केवल जुलाई माह तक ही टिक पाती है।
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